विधाता छंद
1222 1222, 1222 1222
परिंदा बन सदा उड़ना, जियो मस्ती भरा जीवन।
करो प्रिय कल्पना मोहक, बसाओ एक सुंदर वन।
नहीं तरसे कभी मन यह, सदा रंगीन बगिया हो।
कभी डूबो कभी तैरो, सुहानी गंग नदिया हो।
नहीं किस्मत कभी कोसो, सहज पुरुषार्थ करते चल।
पसीना नित बहाते रह, परिश्रम कर सदा केवल।
युवा बन कर दिखो हरदम, मनोबल उच्च हो जगमग।
चकाचक प्रेम से जीना, जगत में नाम कर पग पग।
नहीं कुंठित कभी होना, सदा हर्षित रहा करना।
बने पावन पवन बहना, जहां चाहो वहीं रहना।
सताए जो तुझे कोई, नहीं संवाद उससे कर।
अलापो राग उत्तम को,अकेला ही सुगम पथ धर।
रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१
Haaya meer
02-Nov-2022 05:43 PM
Amazing
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Muskan khan
02-Nov-2022 05:02 PM
Well done ✅
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Sachin dev
02-Nov-2022 04:32 PM
Nice 👌
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